अडाणी के बाद OCCRP ने वेदांता पर जारी की रिपोर्ट:कहा- कंपनी ने पर्यावरण कानूनों को कमजोर करने के लिए सरकार से लॉबिंग की।
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अडाणी ग्रुप के बाद ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता पर कोरोनाकाल (कोविड-19 महामारी) के दौरान पर्यावरण कानून का उल्लंघन करने के लिए सरकार से लॉबिंग करने का आरोप लगाया है। OCCRP ने इसको लेकर शुक्रवार यानी1 सितंबर को एक रिपोर्ट पब्लिश की है।
OCCRP ने दावा किया है कि जनवरी 2021 में वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तब के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से कहा था कि सरकार को माइनिंग कंपनियों को नए पर्यावरण मंजूरी हासिल किए बिना 50% प्रोडक्शन बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए। इससे देश में इकोनॉमिक रिकवरी की रफ्तार तेज हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने ज्यादा रेवेन्यू और बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होने का भी हवाला दिया था।
रिपोर्ट में दावा किया है कि चेयरमैन के सुझाव के तुरंत बाद प्रकाश जावड़ेकर ने एक्शन लिया। उन्होंने लेटर में लिखा, ‘VIMP’ (बहुत जरूरी)। इसके साथ ही अपने मंत्रालय के सचिव और डायरेक्टर जनरल को पॉलिसी के मुद्दे पर चर्चा करने के निर्देश दिए।
2022 की शुरुआत में कई बैठकों के बाद भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने सार्वजनिक सुनवाई की आवश्यकता के बिना माइनिंग कंपनियों को 50% तक उत्पादन बढ़ाने की अनुमति देने के लिए नियमों में ढील दी। रिपोर्ट के मुताबिक, वेदांता ने भी जन सुनवाई को खत्म करने के लिए सफल लॉबिंग की थी।
OCCRP ने ये लेटर शेयर किया- दावा किया गया है कि जावड़ेकर ने अनिल अग्रवाल के सुझाव को अहमियत दी।
सरकार पर एन्वायरमेंटलिस्ट को चुप कराने का आरोप
OCCRP ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाए हैं। OCCRP ने लिखा, ‘2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से भारत सरकार ने एन्वायर्नमेंटलिस्ट को चुप कराने की कोशिश की है। एक्सपर्ट के हवाले से कहा कि कोरोनाकॉल के बाद से धमकी और सेंसरशिप भी बढ़ गई है।’
पर्यावरण नियमों में ढील कंपनी का एकमात्र सफल लॉबिंग अभियान नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण के नियमों में ढील करवाना कंपनी का एकमात्र सफल लॉबिंग अभियान नहीं था। पिछले कुछ सालों में पर्यावरण कानूनों और नीतियों में अधिकांश बदलाव बड़े पैमाने पर कुछ कॉर्पोरेट संस्थाओं या क्षेत्रों को होने वाले आर्थिक लाभ को देखते हुए किए गए।
रिपोर्ट के बाद भी कंपनी के शेयर में तेजी रही
OCCRP की रिपोर्ट के बाद भी वेदांता के शेयर में तेजी देखने को मिली। कंपनी का शेयर 1.59% की तेजी के साथ 236 रुपए के स्तर पर बंद हुआ।
गुरुवार को OCCRP ने अडाणी ग्रुप पर लगाए थे आरोप
इससे पहले बीते दिन गुरुवार को OCCRP ने दावा किया था कि अडाणी ग्रुप के निवेशकों ने गुपचुप तरीके से खुद अपने शेयरों को खरीदकर बाजार में लाखों डॉलर का निवेश किया। अडाणी ग्रुप की कंपनियों ने मॉरीशस के गुमनाम निवेश फंड्स के जरिए ग्रुप के शेयरों में करोड़ों रुपए का निवेश किया।
हालांकि, ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है। अडाणी ग्रुप ने कहा है कि यह बदमान करने और मुनाफा कमाने की साजिश है। हम इन रीसाइकल्ड आरोपों को खारिज करते हैं। ये न्यूज रिपोर्ट तर्कहीन हिंडनबर्ग रिपोर्ट को फिर से जिंदा करने की एक कोशिश मालूम होती है। OCCRP ने जो आरोप लगाए हैं, वह एक दशक (10 साल) पहले बंद हो चुके मामलों से जुड़े हैं।
क्या है OCCRP
OCCRP एक खोजी पत्रकारिता संगठन है। संगठन के पास स्वतंत्र पत्रकारों और स्वतंत्र मीडिया संस्थानों का एक विश्वव्यापी समूह है। OCCRP से जुड़े 24 गैर-लाभकारी खोजी पत्रकारिता संस्थानों का यूरोप, एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में नेटवर्क है। इसे 2007 में ड्रिव सुलिवन और पॉल राडू ने बनाया था।
OCCRP की बेबसाइट पर दिए गए विवरण के अनुसार संगठन की फंडिग जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स करते हैं। जॉर्ज सोरोस हंगरी मूल के अमेरिकी इन्वेस्टर हैं। सोरोस ओपन सोसाइटी यूनिवर्सिटी नेटवर्क के प्रमुख हैं। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक जॉर्ज सोरोस के पास 7.16 बिलियन डॉलर की दौलत है।
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