चंडीगढ़ : कई रुटों पर बसें बढ़ाएगा चंडीगढ़, हिमाचल के साथ 30 तो पंजाब के साथ 15 साल बाद होगा नया समझौता
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आईएसबीटी-17 से अभी आपसी समझौते के आधार पर बसें चलाईं जा रहीं हैं। विभाग का अन्य रोडवेज की बसों पर कोई कंट्रोल नहीं है। वो मनमर्जी से बसें चला रहे हैं। आईएसबीटी-17 से विभिन्न राज्यों की उन जिलों के लिए भी बसें चल रही हैं, जिनकी मंजूरी नहीं दी गई है।
चंडीगढ़ यूटी प्रशासन का परिवहन विभाग वर्षों बाद पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली समेत कई राज्यों के साथ दोबारा पारस्परिक समझौता करने जा रहा है। चंडीगढ़ ने सभी राज्यों में मौजूदा किमी को 25 से 30 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है ताकि रूट बढ़ाए जा सकें।
वर्तमान में इन राज्यों के साथ जिस समझौते के आधार पर बसें चलाई जा ही हैं, वह बहुत पुराना है। पंजाब के साथ वर्ष 2008 में और हिमाचल के साथ वर्ष 1992 में आखिरी पारस्परिक समझौता हुआ था। बाकी राज्यों के साथ भी 10-15 साल पहले ही समझौता हुआ था लेकिन इतने वर्षों में स्थिति काफी बदल गई है। जनसंख्या बढ़ गई है और गाड़ियों की संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ चुकी है।
चंडीगढ़ ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में अपना किमी 25 से 30 किलोमीटर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें राजस्थान, पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड से जवाब आ गया है और वो नए समझौते के लिए तैयार हैं। जम्मू-कश्मीर और यूपी से अभी जवाब नहीं आया है। दिल्ली भी राजी है। बता दें कि राज्यों के बीच बसें चलाने के लिए कुल किलोमीटर का समझौता होता है और फिर उसके अनुसार रूट तय होते हैं।
नए समझौते के बाद पता होगा कितनी बसें आ रही चंडीगढ़
वर्तमान में चंडीगढ़ को पता नहीं है कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल समेत अन्य राज्यों से कुल कितनी बसें पहुंच रहीं हैं। इससे शहर को टैक्स का भी नुकसान हो रहा है। बीते दिनों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, उत्तराखंड, यूपी समेत अन्य राज्यों के परिवहन सचिवों की संयुक्त बैठक हुई थी, जिसमें इस समस्या पर चर्चा हुई और नए पारस्परिक समझौते का फैसला हुआ। अब आने वाले दिनों में एक और बैठक होगी जिसमें ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को तय किया जाएगा। नए समझौते के लागू होने के बाद से चंडीगढ़ को पता होगा कि विभिन्न राज्यों से कितनी बसें चंडीगढ़ पहुंच रहीं हैं। परिवहन सचिव ने कहा कि नए समझौते का मकसद है कि शहर में सभी राज्य रेगुलेटेड बसें चलाएं। इसमें सभी के लिए सहूलियत होगी।
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