सुरेश सातव ने मात्र 29 वर्ष की आयुमें जिवन का सपना सच कर दिखाया, सफलता की राहपर चलते चलते किया है, सैकडो चुनौतियोंका का सामना
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असंभव को संभव कर दिखाने वाले युवा उदयमी ने किया है जिवन का सही आरंभ
बुलढाना जिल्हे के मलकापूर तहसील में रहने वाले सुरेश सातव ने काॅलेज की पढाई करते करते ही बिझनेस मे कदम रखा, उनके पिताजी मजदुरी किया करते थे, परिवारकी आर्थिक स्थिती बडीही नाजुक थी, घर में माता पिता और छोटे भाई के साथ उन्हे कई मुश्किलोंका सामना करना पडाता था, परीवार चलाने के लिए उनके पिताजी को धुप, बरसात या ठंड में भी बिना रूके हरदिन कामपर जाना पडता था, वे निरंतर मेहनत करते रहे लेकीन बच्चों की खुशी में उन्होंने कभी कोई कमी नही आने दी, बच्चो की हर ईच्छा पुरी करने के लिए वे प्रयास करते रहे! बच्चों को अच्छे संस्कार देकर उन्हे पढायाॅ लिखाया, और परीवार की सारी जिम्मेंदारीयाॅ वे ईमानदारी से निभाते रहे!
बचपन में पढाई की कोई दिशा निश्चित नही थी, स्कुल में टेक्नीकल सब्जेक्ट लेकर सुरेश सातव पढाई करने लगे, क्योंकी उस समय आय.टी.आय कोर्स करके नोकरी मिल जाया करती थी! 10 वी तक आते आते उन्हें ये एहसास हुआ की आय.टी.आय करके उनका ज्यादा फायदा नही होगा! तब 11 वी 12 में उन्होंने सायन्स में अँडमिशन लिया, पढाई में अव्वल होने के कारण उन्हें अच्छे मार्कस मिलने लगे! तो दोस्तों ने इजिंनीयरींग करने की सलाह दी!
उस समय इंजिनीयरींग के लिए केवल 5 छात्रोंका सिलेक्शन हुआ, सुरेश जी को लगा अब वे इंजिनीयर नही बन सकते लेकीन, खुशकिस्मतीसे उनका नंबर गव्र्हंमेंट स्किम में लगा, और उन्हें मलकारपूर के डाॅ.व्हि.बी.कोल्ते काॅलेज ऑफ इंजिनीयरींग में अँडमिशन मिल गया, पहले वर्ष के एक्झाम में केवल 1 मार्कसे उन्हे फेल होना पडा!
उस समय असंजस की स्थिती में उन्हें काॅलेज की परिक्षा भी देनी थी और काॅम्पीटेटीव्ह एक्झाम के लिए तैयार होना था, तो उन्होंने चित्रदिप फाउंडेशन में काॅम्पीटेटीव्ह एक्झाम की पढाई शुरू की, लेकीन उस समय एम.पी.एस.सी की एक्झाम देने के लिए उनका ग्रॅज्युएशन होना जुरूरी था! तब उन्होंने यशवंतराव चव्हाण मुक्त विदयापीठ में बी.काॅम की डीग्री लेने के लिए अँडमिशन लिया!
कुछ दिनों में उनके एक दोस्त ने उन्हे एक बिझनेस का सुझाव दिया, उस समय घर परीवार के सहयोग के लिए उन्हे पैसो की बोहत जरूरत थी, तब उन्होंने बिझनेस करने का फैसला लिया, उन्हें उसी दिशा में आगे बढना था, उस समय 56 की.मी. दुर खामगांव में एक सेमिनार उन्होंने अटेंड कीया और तब काफी लोगोंके अनुभव सुनने के बाद उन्हे ये एहसास हुआ की बिझनेस करने हम अपने भुतकाल से बाहर निकल अच्छे भविष्य के तस्वीर बना सकते है!
सुरेश जी ने घर आकर आत्मविश्वास से अपने मातापीता को समझायाॅ और उन्हें बिझनेस के बारें में बताया, उन्होंने जैसे तैसे 15000 रूपये भविष्यमें परिवर्तन की आशा लेकर सुरेशजी को दिए! सुरेश जी को प्रारंभ में बिझनेस करना बडा ही आसान लग रहा था लेकीन जब उनका सामना वास्तविकता से हुआ तो वौ हैरान हो गए क्योकी उस समय उनकी उम्र बोहत ही कम थी, और उनकी पेहचान भी कम थी, वे लोगों के पास बिझनेस समझाने जाते तो लोग उन्हें अलग अलग सवाल पुछते जिसका जवाब उनके पास नही होता था, तो निराश होकर वे वापस लौट जाते थे, उसी दौरान उन्हे बिझनेस के बेसीक ट्रेनिंग के बारे में पता चला तब उन्होंने लर्निंग अँटिटयूड के साथ पढना शुरू किया, और 1 साल निरंतर असफल होने के बाद उन्हे सफलता की राह नजर आयी! वे जिद के साथ आगे बढते रहे! और 2 लोगों को अपने बिझनेस में लानें में वे कामियाब हो सके! उन्होंने उन दो लोगों को विश्वास दिलाया, उन्हे सहयोग देते रहे और धिरे धिरे उनका काम आगे बढने लगा!
उस समय 2.5 लाख रूपयोंका कारोबार करनेवाले सबसे युवा टि.सी. के रूप में उन्हे 1200 लोगों के सामने सन्मानीत किया गया! उसके बाद उनके कदम सफलता की दिशा में बढते गए! उन्होंने कभी पीछे मुडकर नही देखा, उन्होंने 10 लाख रूपयोंका कारोबार किया और ए.टी.सी बन गए! आगे उन्होंने 15 लाख रूपयोंका कारोबार कीया और डी.टी.सी. के ओहदे पर पहुँच गए! उस समय उन्होंने बजाज सी.टी. 100 बाईक खरीदी और पुरे जिल्हे में बाईक पर घुमते रहे, कंपनी का कारोबार आगे बढाते रहे! कंपनी के माध्यम से उन्हे हैद्राबाद, गोवा, दार्जीलींग, उटी मैसूर, कश्मिर जैसी जगह पर फलाईट से टूर करने का मौका मिला, उन्होंने कडी मेहनत लगन के साथ आगे बढने का फैसला लिया था, वे बिना रूके निरंतर चलते रहे और 30 लाख रूपयोंका कारोबार कर झेड.टी.सी बने, बादमें 50 लाख रूपयोंका बिझनेस कीया तो एस.टी.सी. बन गए! और उन्होंने जिंदगी की सबसे पेहली कार खरीदी जिसकी किमत 2,75,000 थी! और तब उन्होंने इसी बिझनेस में आगे बढने का निश्चय किया! उसके बाद वे तेजी से अपने काम को अंजाम देने लगे, तब वे 50 हजार रूपये महिना कमाने लगे थे! फिरभी वे विकास और प्रगती की दिशा में चलते रहे! फोरव्हिलर से लाखों कि.मी का सफर तैय करके वे आर.टी.सी. रॅंक तक पहूॅंच गए! उस समय उन्होंने 1.5 करोड रूपयोंका कारोबार कीया था!
उसके बाद जिंदगी में एक अजीब मोड आया जब उन्हें मुसीबतों का सामना करना पडा, 2022 में उन्होंने किसी दोस्त को आर्थिक सहयोग दिया था! लेकीन वो गांव छोडकर भाग गया! जिसके कारण सुरेश जी को आर्थिक संकटो का सामना करना पडा! जितना कमाया था वो सब लुट गया था! लेकीन उन्होंने जिंदगी से हार नही मानी, सच्चाई और ईमानदारी के साथ आस्था और लगन से वे काम करते रहे और इतने बुरे हालातों मे भी कंपनी के एन.टी.सी रँकतक पहॅुच गए!
जिवन में कुछ घटनाए हमें बरबाद करने घटती है तो कुछ जिवन परिवर्तन करने और सुरेश सातव जी ने सकारात्मकता के साथ जिवन को जिने का तरीका सिखा था और इसीलीये 2023 की सुबह ने उनके जिवन की दिशा ही बदल दी! उन्होंने एक एैसा आरंभ किया जिसने उनके जिवन को पुरी तरह से बदल दिया! उन्होंने आरंभ डेव्हलपर्स अँड बिल्डर्स के नाम से कन्स्ट्रक्शन कंपनी की शुरूआत की और देखते ही देखते सफलता के मुकाम हासील करने लगे! कुछ ही दिनों में उन्होंने उनके सपनों कों साकार कर लिया!
काफी लोगों का सपना होता है एम.जी हेक्टर कार लेने का, जो उन्होंने बोहत ही कम समय में सच कर दिखाया! और गाडी कां नं लिया एम.एच. 28 बी.क्यु.1001 जिसके पिछे उनके जिवन का रहस्य छुपा है! जिवन में केवल 1 मार्क कम मिला तो उनका जिवन की बदल गया था! और जब कडी मेहनत करके वे 0 से हिरो बने तो किस्मत ने उन्हें फिर झिरो बना दिया! लेकीन जिद मेहनत से उन्होंने उनके जिवन को नं 1 बना ही दिया! और उन्होंने एक संकल्प लिया, भविष्य में 1001 नंबर को वे हमेशा याद रखेंगे और जो भी गाडी खरीदेगें उसे केवल 1001 नंबर ही देंगे!
आरंभ डेव्हलपर्स बुलढाना जिल्हे के मलकापूर तहसील में रहने वाले सुरेश सातव ने काॅलेज की पढाई करते करते ही बिझनेस मे कदम रखा, उनके पिताजी मजदुरी किया करते थे, परिवारकी आर्थिक स्थिती बडीही नाजुक थी, घर में माता पिता और छोटे भाई के साथ उन्हे कई मुश्किलोंका सामना करना पडाता था, परीवार चलाने के लिए उनके पिताजी को धुप, बरसात या ठंड में भी बिना रूके हरदिन कामपर जाना पडता था, वे निरंतर मेहनत करते रहे लेकीन बच्चों की खुशी में उन्होंने कभी कोई कमी नही आने दी, बच्चो की हर ईच्छा पुरी करने के लिए वे प्रयास करते रहे! बच्चों को अच्छे संस्कार देकर उन्हे पढायाॅ लिखाया, और परीवार की सारी जिम्मेंदारीयाॅ वे ईमानदारी से निभाते रहे!
आरंभ का एक नया व्हेंचर आरंभ ट्रेडिंग कंपनी शुरू होने वाली है, जिसमे कपास, गेहू, चना जैसे अन्य उत्पादोंकी खरेदी और बिक्री होने वाली है! सबका साथ सबका विकास के उदद्ेश्य को ध्यान मे रखते हुए मात्र 21 वर्ष की आयु में उन्होंने जिंदगी के संघर्ष की शुरूआत की थी और आज 29 वर्ष की आयुमें उन्होंने जिंदगी के लगभग सारे सपने पुरे कर लिए है, ये सब संभव हो सका है, आत्मविश्वास, जिद, प्रामाणिकता और निरंतर अभ्यास और प्रयास से, हम रिसील की और से सबसे कम आयुके उदयमी को हार्दिक बधाई देते है!
लेखक : सचिन आर जाधव
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