अमेरिकी संसद में मंत्रोच्चार के साथ हुआ पहला हिंदू-अमेरिकी सम्मेलन:US सांसद ने कहा- भारतीयों के पास देश का अगला राष्ट्रपति चुनने की ताकत।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून को अमेरिका जाने वाले हैं। इससे ठीक 7 दिन पहले 14 जून को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में पहला हिंदू-अमेरिकन सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन को अमेरिकन्स फॉर हिंदूज का नाम दिया गया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सम्मेलन की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और प्रार्थना के साथ हुई। इस सम्मेलन को 20 हिंदू संस्थाओं के समर्थन से कराया गया।
इसका मकसद अमेरिका में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों की दिक्कतों की तरफ अमेरिका में कानून बनाने वाले लोगों का ध्यान आकर्षित करना था। इस सम्मेलन के आयोजक रोमेश जापरा ने कहा कि हमारे समुदाय ने हर एक क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है। फिर भी हम राजनीतिक रूप से पिछड़े हुए हैं। हमें लगता है कि अमेरिका के हिंदुओं के साथ भेदभाव होता है। इस सम्मेलन के जरिए हम सभी संस्थाओं को एक साथ लाना चाहते हैं।
अमेरिकी हिंदुओं के पास अगला राष्ट्रपति चुनने की ताकत
अमेरिका के कैपिटल हिल में हुए अमेरिकन-हिंदू सम्मेलन में फ्लोरिडा, न्यूयॉर्क, बोस्टन, टेक्सास, शिकागो, कैलिफोर्निया जैसे शहरों से करीब 130 भारतीय अमेरिकी नेता शामिल हुए। इस दौरान एक अमेरिकी सांसद रिचर्ड मैकोर्मिक ने कहा कि अमेरिकी हिंदुओं के पास अगला राष्ट्रपति चुनने की ताकत है। इसके बाद पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मैकोर्मिक ने आगे कहा- मैं ये बात सिर्फ कह नहीं रहा हूं बल्कि मुझे लगता है कि आप लोगों में वो क्षमता है।
एक बार आप सही नेताओं से तालमेल करेंगे तो आपको अपनी ताकत का अंदाजा होगा। आप अमेरिका के लिए कानून लिखेंगे। जो हमारे देश को कई दशकों तक तरक्की के रास्ते पर ले जाएंगे।
‘अगर ये अमेरिकी-हिंदू सम्मेलन है तो इसमें दलित कहां हैं?’
द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में पहला अमेरिकी-हिंदू सम्मलेन कराने वाली 20 संस्थाओं में से कई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ी हैं। हिंदूज फॉर ह्युमैन राइट्स के मेंबर राजु राजागोपाल ने द क्विंट को बताया कि लिस्ट में 2 ऐसी संस्थाएं हैं एकल विद्यालय और सेवा इंटरनेशनल जो RSS और विश्व हिंदू परिषद से जुड़ी हैं।
उन्होंने इस सम्मेलन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर ये हिंदू-अमेरिकी सम्मेलन था तो इसमें दलित संस्थाएं और तमिल संस्थाएं क्यों नहीं हैं।
राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के बाद भारत के लोकतंत्र को लेकर एक सवाल पर अमेरिका की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा- भारत एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है जो लगातार विकास कर रहा है। जो भी नई दिल्ली जाता है वो इसे देख और महसूस कर सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के वक्त हम लोकतंत्र के संस्थानों की ताकत पर भी चर्चा करेंगे।
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