सब कुछ बदलें पर संस्कृति, संस्कार न बदले-उक्त विचार प्राचार्य यतींद्र सोनी
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भागीरथ जाधव
*पानसेमल*:- नववर्ष का केलेणडर बदलें, कपड़े बदले, कोई समस्या नहीं है, लेकिन संस्कृति और संस्कार न बदले। उक्त विचार प्राचार्य यतींद्र सोनी ने शासकीय माध्यमिक स्कूल धावड़ी के विधार्थियों के समक्ष दिया । संजय राठौड़ ने आगे बताया कि संस्कृति और संस्कारों का पालन नहीं करने से आज के मनुष्य मे मानसिक असंतुलन एवं रोग उत्पन्न हो रहे हैं ।हमारी संस्कृति का अंग है सूर्य नमस्कार प्रातः काल इसका अभ्यास करने से युवाओं की हड्डियां मजबूत बनी रहेगी, युवाओं का पाचन,शवसन,प्रजनन तंत्रिका और अतः स्रावी ग्रंथि संतुलित होगी। अत्यंत व्यस्त व्यक्ति, व्यवसायी, विधार्थी, इंजीनियर, वकील, शिक्षक, प्रोफेसर आदि सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें तो स्वास्थ्य में चमत्कारिक लाभ प्राप्त होगा। ये लोग न करें जिन्हें घुटने , माइग्रेन, मिर्गी, चक्कर, जोड़ों में सूजन, तुरन्त आपरेशन हुआ हो । सूर्य नमस्कार में प्रार्थना मुद्रा,हसतोतानासन,पाद हसतोतानासन,पाद हस्तासन अश्व सचालनासन, पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार,के साथ कपालभाति, नाड़ी शोधन, अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम एवं आसनों का प्रशिक्षण शासकीय हाई स्कूल धावड़ी के विधार्थियों को दिया गया।इस अवसर पर शिक्षक विकलेश देसले, हिम्मत मेहता, , योगेश देसले, वो गांव के सरपंच आमसी बाई राजेश ब्राह्मणों वो और अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। फोटो छात्र छात्राएं सूर्य नमस्कार का प्रदर्शन करते हुए।
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