भारत की गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों में 6,300 डॉल्फ़िन हैं।
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सर्वेक्षण में पाया गया कि डॉल्फिन उन क्षेत्रों में पनपती हैं जहां नदी का पानी काफी गहरा होता है और मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम होता है।
नई दिल्ली: सोमवार को जारी एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी प्रणालियों में छह हजार से अधिक डॉल्फ़िन हैं। डॉल्फिन परियोजना भारत में नदी डॉल्फिन की पहली जनगणना है, और यह दुनिया में इस तरह के सबसे बड़े सर्वेक्षणों में से एक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को डॉल्फ़िन और अन्य जलीय प्रजातियों के संरक्षण के लिए इस परियोजना की घोषणा की थी।
भारत में डॉल्फ़िन मुख्यतः गंगा नदी और सिंधु नदी में पाई जाती हैं। ये दोनों अलग-अलग प्रकार की डॉल्फिन हैं। इनमें गंगा नदी की डॉल्फिनें सर्वाधिक संख्या में हैं। अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जानी जाने वाली ये डॉल्फ़िन भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना नदी प्रणालियों और उनकी सहायक नदियों में पाई जाती हैं। भारत में सिंधु नदी एक छोटे से क्षेत्र से होकर बहती है और सिंधु डॉल्फ़िन की संख्या भी कम है।
सर्वेक्षण में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों के सम्पूर्ण प्रवाह का अध्ययन किया गया। गंगा नदी डॉल्फ़िन की संख्या 6,324 (5,977 से 6,688 के बीच) होने का अनुमान लगाया गया था। ब्यास नदी में तीन सिंधु डॉल्फिन पाई गईं।
सर्वेक्षण का दायरा
डॉल्फिन परियोजना के तहत आठ राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब – से होकर बहने वाली नदियों में डॉल्फिन की संख्या की गणना की गई। यह सर्वेक्षण 2021 और 2023 के बीच आयोजित किया गया था। आठ हजार किलोमीटर से अधिक जल क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में 58 नदियों का मूल्यांकन किया गया।
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