रायगढ़ जिले में 479 कुष्ठ रोगी पाए गए, आदिवासी बहुल तालुका में कुष्ठ रोगियों की संख्या गंभीर है।
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रायगढ़ जिले में कुष्ठ उन्मूलन अभियान के तहत किये गये सर्वेक्षण में 479 कुष्ठ रोगी पाये गये हैं।
अलीबाग: रायगढ़ जिले में कुष्ठ उन्मूलन अभियान के तहत किए गए सर्वेक्षण में 479 कुष्ठ रोगी पाए गए हैं। जनजातीय बहुल तालुकाओं में कुष्ठ रोग का प्रचलन अधिक है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पता चला है कि 15 में से 13 तालुकाओं में कुष्ठ रोग की घटना नियंत्रित मानक से अधिक है।
पेण स्थित वरवणे आदिवासी आश्रम स्कूल में एक छात्र को कुष्ठ रोगी घोषित किया गया। उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि लड़की की मौत अनुचित दवा के कारण हुई, जबकि उसे कुष्ठ रोग नहीं था। इसके बाद जिले में कुष्ठ रोगियों का मुद्दा चर्चा में आया। जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या को देखकर स्पष्ट है कि स्थिति अच्छी नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि बड़ी जनजातीय आबादी वाले तालुकाओं में स्थिति गंभीर है।
स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कुष्ठ रोग की दर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 से कम है, तो स्थिति को नियंत्रण में माना जाता है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि रायगढ़ के 15 में से 13 तालुकाओं में यह अनुपात प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक या उससे अधिक है। जिले में सक्रिय कुष्ठ रोगियों की संख्या 479 है। कर्जत तालुका में मरीजों की संख्या सबसे अधिक 76 है। सुधागढ़ तालुका में मरीजों की संख्या 10,000 पर 4.4 है जो चिंताजनक है।
सरकार ने कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत एक नई बीमारी का पता लगाने का अभियान शुरू किया है। इससे बड़ी संख्या में मरीजों को परेशानी हो रही है। नए रोगियों में 62 बच्चे हैं, जबकि 211 महिलाएं कुष्ठ रोगी हैं। इन बच्चों की संख्या भी चिंताजनक है। महिलाओं में अपनी बीमारियों को छिपाने की प्रवृत्ति अधिक होती है। सरकार के कुष्ठ रोगी खोज अभियान के कारण ही रोगियों की संख्या प्रकाश में आई है, अन्यथा ये रोगी प्रकाश में नहीं आते। इसलिए स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर घबराने की कोई बात नहीं है।
रायगढ़ जिले में वर्तमान में कुष्ठ रोगी खोज अभियान चल रहा है। इस अभियान के तहत आशा एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता जिले में 5 लाख 16 हजार घरों का दौरा करेंगे तथा 2.3 लाख लोगों का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके लिए 2,100 टीमें गठित की गई हैं। अभियान का क्रियान्वयन 403 पर्यवेक्षकों के माध्यम से किया जाएगा। अभियान के तहत, परिवार के सभी सदस्यों की कुष्ठ रोग के लिए पूर्ण शारीरिक जांच की जाएगी। इस अभियान के तहत समुदाय में अज्ञात कुष्ठ रोगियों की यथाशीघ्र पहचान कर उनका उपचार किया जाएगा। इसका उद्देश्य नए कुष्ठ रोगियों की पहचान करके कुष्ठ रोग के प्रसार को कम करना तथा बहु-औषधि चिकित्सा के माध्यम से संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ना है।
कुष्ठ रोग खोज अभियान के तहत आशा स्वयंसेवक, स्वयंसेविकाएं और स्वास्थ्य कार्यकर्ता संदिग्ध कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे। नागरिकों को कुष्ठ रोग के संबंध में किसी भी गलतफहमी या भय के बिना गृह-भेंट दल के साथ सहयोग करना चाहिए। इस अभियान को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए उचित योजना बनाई गई है तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी प्रभावित व्यक्ति उपचार के बिना न रहे। -भरत बस्तेवाड, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, रायगढ़ जिला परिषद
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