नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 23, 2025

    4 साल से नहीं छपा 2 हजार का कोई नोट:अब सर्कुलेशन से भी बाहर; RBI को क्यों करना पड़ा ये भूलसुधार |

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    8 नवंबर 2016, रात 8 बजे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी पर आए। देश के नाम अपनी स्पीच में उन्होंने कहा कि रात 12 बजे से 1000 और 500 के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे। उनके एक ऐलान से महज चार घंटे में 86% करेंसी यानी 15.44 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन से बाहर हो गए।

    पुराने नोट बंद होने से अचानक करेंसी रिक्वॉयरमेंट बढ़ा और रिजर्व बैंक ने RBI एक्ट 1934 के सेक्शन 24(1) के तहत 2 हजार रुपए के नोट छापने शुरू कर दिए। इससे करेंसी शॉर्टेज तो पूरा हो गया, लेकिन नई समस्या पैदा हो गई।

    19 मई 2023 यानी करीब 6 साल बाद RBI ने 2000 रुपए का नोट सर्कुलेशन से वापस लेने का ऐलान कर दिया है। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे 2000 के नोट बंद करने का RBI का फैसला एक भूलसुधार क्यों है और इसके लिए कब से काम चल रहा है?

    सबसे पहले 3 ग्राफिक्स में देखिए, 2000 के नोट चलन से बाहर करने का सिलसिला कब से चल रहा है…
    2000 के नोट छापना क्यों नोटबंदी के असल मकसद से उलट था

    इसे समझने के लिए सबसे पहले कालेधन को जानना जरूरी है। पहली बात तो यह कि कालाधन हमेशा नोटों के रूप में नहीं होता। यह सोना-चांदी, जमीन जायदाद या किसी बेशकीमती वस्तु के रूप में भी होता है। मोटे तौर पर कालाधन ऐसी कमाई होती है जिस पर टैक्स नहीं चुकाया जाता।

    हम एक रिश्वतखोर अफसर या बेईमान कारोबारी का उदाहरण ले सकते हैं। कल्पना करते हैं कि अगर किसी रिश्वतखोर अफसर ने किसी शख्स से रिश्वत ली। आमतौर पर वह यह रिश्वत करेंसी नोटों के रूप में लेगा, लेकिन हो सकता है कि वह सोने के रूप में रिश्वत ले।

    इसी तरह अगर किसी बेईमान कारोबारी की बात करें तो वह अगर सही कमाई पर टैक्स देने के बजाय फर्जी बिलों के जरिए ज्यादा खर्च दिखाकर कागजों में अपना मुनाफा कम दिखाए तो भी उसके पास हिसाब-किताब से ज्यादा पैसे होंगे।

    ऐसे हालात में दोनों, यानी रिश्वतखोर अफसर और बेईमान कारोबारी इस रकम को नकद नोटों के रूप में रखना पसंद करेंगे। हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि बिना हिसाब-किताब के इस रकम को जमीन जायदाद या सोना चांदी खरीदकर कालाधन जमा कर लें।

    आमतौर पर माना जाता है कि खालिस नोटों के रूप में बिना हिसाब-किताब वाला धन यानी कालाधन जमा करना आसान होता है। ऐसा करने में बड़ी वैल्यू वाले नोट सबसे सुविधाजनक होते हैं। उन्हें रखने में भी आसानी। छिपाने मे भी आसानी और बिना सरकारी निगरानी से लेन-देन में आसानी।
    यही वो वजह है कि दुनिया भर में जब भी कालेधन को रोकने के मकसद से नोटबंदी की जाती है तो उसके निशाने पर बड़ी वैल्यू के नोट होते हैं।

    भारत में 8 नवंबर 2016 को यही हुआ। नोटबंदी के निशाने पर थे सबसे ज्यादा वैल्यू वाले नोट यानी 1000 रुपए और 500 रुपए के सभी मौजूदा नोट, इन सभी को अवैध घोषित कर दिया गया।

    अचानकर देश की 85% नकद नोट रद्दी में तब्दील हो गए।

    लेन-देन के लिए लोगों के पास नोट नहीं बचे। ऐसे में जो अफरातफरी मची, लोगों को आज तक याद है। हालात बिगड़ते जा रहे थे। ऐसे में RBI ने नवंबर 2016 में ही 1000 के नोटों से दोगुनी वैल्यू यानी 2000 के नोट छापना शुरू कर दिया। बाजार में नोटों के निर्वात को तेजी से भरने के लिए दोगुनी वैल्यू के इन नोटों को छापकर हवाई जहाजों से देश के कोने-कोने तक पहुंचाया गया।

    2000 के नोट छापना इंसानों की जमाखोरी की फितरत को बढ़ावा देना था

    अब नोटबंदी को इंसानी फितरत यानी आदत से भी समझते हैं। आप सभी ने अक्सर सुना होगा- भाई मेरी जेब में बड़ा नोट है मैं इसे नहीं तुड़वाउंगा। यानी इसमें खर्च नहीं करूंगा।

    यही है हम इंसानों की फितरत। दुनियाभर में लोग बड़ी वैल्यू के नोटों को इस्तेमाल उन्हें खर्च करने से ज्यादा जमा करने में करते हैं।

    कमाई के नजरिए से देखें तो भारत जैसे देश में यह आदत भी है और मजबूरी भी। देश की ज्यादातर आबादी के पास खर्च करने के लिए बड़ी वैल्यू के नोटों की कमी होती है।

    RBI का डेटा भी यही साबित करता है। भारत में कम वैल्यू वाले नोटों यानी 5, 10, 20, 50 और 100 रुपए के नोटों की खराब होने की दर 33% सालाना है। यानी हर साल छोटे वैल्यू के एक तिहाई नोट खराब हो जाते हैं। वहीं 500 रुपए के नोटों के मामले में यह दर 22% और 1000 रुपए के नोटों के खराब होने की दर 11% है।

    कालेधन के आंकलन में इस आंकड़े का भी इस्तेमाल होता है। माना जाता है कि जो नोट कालेधन के रूप में स्टोर हैं उनके खराब होने की दर बहुत कम होगी है। यानी असल लेन-देन में छोटी वैल्यू के नोटों का ही इस्तेमाल ज्यादा होता है। रिजर्व बैंक के इन आंकड़ों से 2016 से पहले एक अंदाज लगाया गया कि देश में 7.3 लाख करोड़ का काला धन है। हालांकि नोटबंदी के बाद कालेधन के सभी गणित फेल हो गए। 99.3% नोट बैंकों में जमा हो गए। सिर्फ करीब 10,720 करोड़ के नोट बैंकों में नहीं लौटे।

    नोटबंदी के बाद RBI ने 2000 के नोट छापने की इसी गलती का भूलसुधार किया गया है। इसे चलन से बाहर करने की कोशिश तो 4 साल पहले ही शुरू हो गई थी। शुक्रवार को सर्कुलेशन से बाहर करने का ऐलान भर किया गया है।

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    2:11 AM