370, इलेक्टोरल बॉन्ड, केजरीवाल… नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के वो 5 सबसे बड़े फैसले।
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जस्टिस संजीव खन्ना ने 11-11-2024, को भारत के 51वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी सीजेआई के तौर पर शपथ ले ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में जस्टिस संजीव खन्ना को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.
भारत को आज अपना नया प्रधान न्यायाधीश मिल गया है. जस्टिस संजीव खन्ना देश के नए सीजेआई पद की शपथ (CJI Sanjiv Khanna Oath) ले ली है. यूं तो निवर्तमान सीजेआई अपने उत्तराधिकारी का नाम आगे बढ़ाते हैं. विदाई समारोह जैसे कुछ एक मौकों पर अक्सर कुछ ऐसी बातें पता चलती हैं जो कम लोगों को ही मालूम होती हैं. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ हो या कोई भी बेंच सभी न्याय की अवधारणा को लेकर सजग होती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं नए सीजेआई संजीव खन्ना के 5 फैसलों के बारे में जो सुर्खियां बने थे.
जस्टिस खन्ना के प्रमुख फैसले
भारत के सीजेआई के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा. जस्टिस खन्ना के ऐतिहासिक फैसलों की बात करें तो वह इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम खत्म करने और अनुच्छेद 370 निरस्त करने जैसे ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. उनके एक और उल्लेखनीय फैसलों में से एक था, चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के इस्तेमाल को बरकरार रखना. इस मामले पर फैसले सुनाते हुए उन्होंने कहा था, ‘EVM सुरक्षित उपकरण है जो बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान को खत्म करते हैं. जस्टिस खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर के संदेह को ‘निराधार’ करार देते हुए पेपर बैलेट प्रणाली पर वापस लौटने की मांग खारिज कर दी थी.
जस्टिस खन्ना अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाले कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं. जस्टिस खन्ना की बेंच ने ही पहली बार दिल्ली के तत्तकालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले के मामलों में लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी. एक अन्य अहम फैसले में, जस्टिस खन्ना ने इस बात पर जोर दिया कि कार्यवाही में देरी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत बेल देने के लिए एक वैध आधार के रूप में काम कर सकती है. यह फैसला दिल्ली के फॉर्मर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से जुड़े एक मामले में आया.तलाक को लेकर एक बहुचर्चित मामला भी उनकी कोर्ट में आया था. अनुच्छेद 142 के तहत तलाक केस की बात करें तो 2023 में शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन के मामले में, जस्टिस खन्ना ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सीधे तलाक देने के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार की पुष्टि करते हुए बहुमत की राय लिखी थी. उन्होंने फैसला सुनाया था कि कोर्ट दोनों पक्षों के बीच ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए विवाह को भंग कर सकती है. इस निर्णय को भारत में तलाक कानून को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण माना जाता है.
अब बतौर CJI अदालतों में लंबित मामलों की संख्या घटाना और न्याय में तेजी लाना उनकी प्राथमिकताओं में एक होगा.
कौन है जस्टिस खन्ना?
दिल्ली के प्रतिष्ठित परिवार से तालुक रखने वाले जस्टिस संजीव खन्ना तीसरी पीढ़ी के वकील हैं. जस्टिस संजीव खन्ना, दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के सीनियर जज देवराज खन्ना के पुत्र और सर्वोच्च न्यायालय के जाने-माने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे हैं. जस्टिस खन्ना के करिअर की शुरुआत 1983 में तीस हजारी कोर्ट में वकालत की प्रेक्टिस से हुई. 2004 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के स्थायी वकील (सिविल) बने. 2005 में दिल्ली HC के जज बने. 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने. 2024 में सीजेआई बन गए.
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