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    April 16, 2025

    3 सहेलियों का जिम कैफे: दोस्ती इतनी पक्की कि बचपन के सपने को शादी बाद भी नहीं छोड़ा, अपने शहर में मिलीं तो खड़ा किया बिजनेस |

    1 min read
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    बिहार के एक शहर मुजफ्फरपुर की तीन सलेहियां। तीनों बचपन में साथ-साथ खेलीं और पढ़ीं। बचपन में तीनों ने बड़े-बड़े सपने संजोए। कुछ अच्छा करना का सपना, बड़ा बनने का सपना। उनके सपने पूरे भी हुए। एक डॉक्टर बनी तो दूसरी एडवोकेट और तीसरी असिस्टेंट प्रोफेसर बन गई। तीनों ने अपने-अपने फील्ड में एक मुकाम हासिल किया।

    लेकिन इस मुकाम पर पहुंचने के लिए तीनों सहेलियों को बिछुड़ना पड़ा। 12वीं के बाद सबके रास्ते अलग-अलग हो गए। तीनों अलग-अलग शहरों में रहने लगीं। लेकिन उनके मन में अपनी दोस्ती की यादें बनी रहीं और साथ में कुछ करने का सपना भी जिंदा रहा।

    फिर जब कोरोना आया तो तीनों अपने होम टाउन मुजफ्फरपुर में मिलीं। बचपन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कुछ करने की ठानी। इसके बाद तीनों ने मिलकर मुजफ्फरपुर का पहला ‘जिम प्लस कैफे’ खोला। यह शहर में महिलाओं द्वारा खोला गया पहला जिम है। साथ ही यहां एक कैफे भी है। इस जिम और कैफे में शहर भर की महिलाएं आती हैं और अपनी सेहत और स्वाद की बातें खुलकर करती हैं।

    ‘दोस्त साथ हों तो कुछ भी कर सकते हैं’

    मेरा नाम अनामिका है। बचपन की बात है। मैं मुजफ्फरपुर के ‘प्रभात तारा स्कूल’ में पढ़ती थी। हम तीन सहेलियां एक-दूसरे के काफी करीब थीं। हम तीनों सबकुछ साथ-साथ करते थे। तब लगता था कि ये वक्त कभी खत्म नहीं होगा और हम हमेशा एक-दूसरे के साथ ऐसे ही रहेंगे।

    लेकिन ये बचपन के सपने थे, रियल लाइफ में ऐसा नहीं होता और हुआ भी नहीं। 12वीं के बाद हम तीनों के रास्ते अलग-अलग हो गए। साहिल मुंबई हाईकोर्ट में वकील बन गईं और मीनाक्षी डॉक्टर। इधर, शादी के बाद मैं भी एमफिल करने दिल्ली चली गई। बाद में नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर भी बनी।

    ‘हर कदम पर दोस्तों को मिस करती थी’

    लाइफ जर्नी आगे बढ़ी तो हम तीनों दोस्त अलग हो गए। लेकिन हमारा एक-दूसरे के लिए स्नेह हमेशा बना रहा। जिंदगी के हर अच्छे बुरे मोड़ पर मीनाक्षी और साहिल की सबसे पहले याद आती थी। कहीं न कहीं मन में उम्मीद थी कि हम फिर मिलेंगे और साथ में कुछ करेंगे।

    कोविड ने तीनों सहेलियों को मिलाया

    साल 2020 में जब कोविड आया तो हम तीनों अपने होम टाउन मुजफ्फरपुर लौटे। यहां हम अक्सर मिलते और लंबी बातें किया करते। पुराने दिन ताजा हो जाते और साथ मिलकर कुछ करने का प्लान भी बनाते।

    इन्हीं दिनों में एक बार साहिल ने कहा कि क्यों न हम ‘जिम कम कैफे’ खाेलें। बात तो अच्छी थी। लेकिन अभी तक इस शहर में किसी महिला ने जिम नहीं खोला था और जिम के साथ कैफे खोलने का आइडिया भी बिल्कुल अलहदा था।

    एक-दूसरे का मिला साथ तो बन गई बात

    मैं, मीनाक्षी और साहिल तीनों एक-दूसरे से काफी अटैच हैं। निश्चित रूप से सबका अपना-अपना परिवार भी है। सबको संभालते हुए हमने अपना बिजनेस शुरू किया। कई बार ऐसा होता कि मेरे पास वक्त नहीं होता तो उस काम को मीनाक्षी या साहिल में से कोई कर लेती। या फिर जब वो व्यस्त हों तो मैं काम कर लेती हूं। इस तरह एक-दूसरे का साथ देते हुए हमने अपना बिजनेस शुरू किया और इसे अच्छे से चला रहे हैं।

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