दिल्ली में अक्षय तृतीया पर 21 हजार शादियां, 5000 करोड़ तक पहुंच सकता है खर्च, CAIT ने मांगा ‘उद्योग का दर्जा’
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प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि इस क्षेत्र को व्यवस्थित करने और नकद लेनदेन को कम करने के लिए संरचित नीतिगत ढाँचे, निगरानी और नियमों की आवश्यकता है.
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ यानी कैट ने केन्द्र सरकार से विवाह क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने का आग्रह किया है. अक्षय तृतीया पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में करीब 21,000 शादियाँ होने का अनुमान है, और अकेले इस शहर में संबंधित खर्च 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है.
कैट की दलील है कि शादियाँ परिधान, आभूषण, भोजन और खानपान, सजावट, फोटोग्राफी, परिवहन, होटल बुकिंग, कार्यक्रम प्रबंधन और फूलों की सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण व्यापार को बढ़ावा देती हैं. CAIT के राष्ट्रीय महासचिव और संसद सदस्य, प्रवीण खंडेलवाल का अनुमान है कि भारत का विवाह उद्योग 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है.
खंडेलवाल का आगे कहना है कि इस क्षेत्र को व्यवस्थित करने और नकद लेनदेन को कम करने के लिए संरचित नीतिगत ढाँचे, निगरानी और नियमों की आवश्यकता है. उद्योग का दर्जा देने और नियामक निरीक्षण लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक पारदर्शिता और मजबूती आ सकती है.
CAIT केंद्र सरकार से विवाह क्षेत्र को औपचारिक रूप से मान्यता देने, हितधारकों से इनपुट एकत्र करने और एक व्यापक नीति बनाने के लिए एक उच्च-स्तरीय पैनल बनाने का आग्रह कर रहा है. व्यापारी संघ ने सरकार से ये भी मांग की है विवाह सेवा उद्योग में जीएसटी दरों और मानदंडों के साथ ही इस क्षेत्र में काम कर रहे छोटे विक्रेताओं और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कदम उयाया जाए. CAIT का ऐसा मानना है कि विवाह क्षेत्र को संगठित और औपचारिक रूप देने से “राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसका पर्याप्त और स्थायी योगदान” सुनिश्चित हो पाएगा.
गौरतलब है कि हर साल देश में हजारों शादियां होती है और लोग इस मौके पर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं. ऐसे में व्यापारिक संगठनों को इसमें काफी संभावनाएं दिख रही है, यही वजह है कि सरकार से ये कदम उठाने की मांग की जा रही है.
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