तिबेट में 22000 फीट पर मिले 15 हजार साल पुराने 33 भयानक वायरस; भारत समेत कई देशों के लिए बड़ा खतरा!
1 min read
|








तिबेट: दुनिया भर में कई जगहों पर पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहा है। इस पर्माफ्रॉस्ट के नीचे प्राचीन जीव, वायरस, बैक्टीरिया दबे हुए हैं। जैसे ही बर्फ पिघलनी शुरू होती है, ये वायरस अब निकल जाते हैं।
तिबेट में इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं. ऐसे में अब तिब्बत में 22000 फीट की ऊंचाई पर 33 भयानक वायरस मिलने से हड़कंप मच गया है. ये वायरस हजारों साल तक बर्फ के नीचे दबे रहे और अब बाहर आ रहे हैं। भारत समेत कई देशों में इस वायरस का खतरा ज्यादा है।
ग्लोबल वार्मिंग का संकट पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है। इसी तरह तिबेट में भी कई ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. तिबेट में 15 हजार साल पुराने वायरस मिले हैं. शोधकर्ताओं को डर है कि ये वायरस भारत, चीन और म्यांमार जैसे देशों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। यदि यह अति प्राचीन वायरस फैलता है तो स्थिति को नियंत्रित करना असंभव है।
ग्लेशियरों और पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से 40 हजार साल पुराने विशालकाय जानवर, 75 लाख साल पुराने बैक्टीरिया फिर से सक्रिय हो गए हैं। इन सभी वायरस के दोबारा जीवन में आने से 10 हजार साल पहले धरती से गायब हुआ वूली मैमथ नामक जानवर फिर से जिंदा हो जाएगा। आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट में ऊनी मैमथ के जीवाश्म पाए गए हैं।
22000 फीट की ऊंचाई पर मिला भयानक वायरस!
वैज्ञानिकों ने तिबेट पठार पर गुलिया आइस कैप के पास 15,000 साल पुराने वायरस की खोज की है। इन वायरस की कई प्रजातियाँ हैं। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट जि-पिंग झोंग ने चिंता जताई है कि ये वायरस इंसानों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। यह वायरस चीन के तिब्बत के पिघलते ग्लेशियरों के नीचे समुद्र तल से लगभग 22,000 फीट की ऊंचाई पर पाया गया है। वैज्ञानिकों ने 33 वायरस खोजे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इनमें से 28 वायरस पहले कभी नहीं देखे गए हैं। ये वायरस हर मौसम में जीवित रह सकते हैं। इस वायरस का किसी भी प्रकार के तापमान, चाहे बहुत ठंडा हो या बहुत गर्म, पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके चलते शोधकर्ताओं ने चिंता जताई है कि अगर यह वायरस संक्रमित हो गया तो इसके प्रसार को नियंत्रित करना असंभव होगा।
भारत समेत कई देशों की नदियों में मिला वायरस
पिछले साल अकेले तिबेट ग्लेशियरों में बैक्टीरिया की 1,000 नई प्रजातियाँ खोजी गईं। इन ग्लेशियरों का पानी चीन और भारत की नदियों में बैक्टीरिया के साथ मिलकर पीने के पानी के माध्यम से बीमारियों का कारण बन सकता है। चीनी विज्ञान अकादमी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने तिबेट पठार पर 21 ग्लेशियरों से नमूने एकत्र किए। ये नमूने 2016 से 2020 के बीच एकत्र किए गए थे। शोधकर्ताओं को इसमें बैक्टीरिया की 968 प्रजातियां मिलीं। शोधकर्ताओं ने बताया कि इनमें से 82% बैक्टीरिया पूरी तरह से नए हैं।
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments