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    April 21, 2025

    विशेषज्ञों ने बताया: डिमेंशिया के जोखिम को 40% तक कम कर सकते हैं, इसके लिए अभी से शुरू कर दें ये तीन काम |

    1 min read
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    डिमेंशिया, मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्याओं में से एक है जो रोगी के सोचने, निर्णय लेने और चीजों के याद रखने की क्षमता को प्रभावित कर देती है। 60 साल से अधिक की आयु वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है। आनुवांशिकता और पर्यावरणीय कारक डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ाने वाले माने जाते हैं। वहीं कुछ अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर हम सभी कम उम्र से ही लाइफस्टाइल को ठीक रखने पर ध्यान दे लें तो भी इससे बचाव किया जा सकता है।

    ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सा विभाग द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि जीवनशैली की गड़बड़ आदतें मस्तिष्क की क्षमता को कमजोर करती जा रही हैं, जिसके कारण अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का जोखिम भी काफी बढ़ गया है। वहीं अगर युवावस्था से ही कुछ आदतों को लाइफस्टाइल में शामिल कर लिया जाए तो इसके जोखिम को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
    कैसे और क्या करें, आइए आगे जानते हैं।
    क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

    डॉ सारा बाउर्मिस्टर के नेतृत्व में डिमेंशियाज़ प्लेटफॉर्म यूके और अल्जाइमर रिसर्च यूके द्वारा किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि लाइफस्टाइल की आदतें समय के साथ इस प्रकार के मानसिक रोगों के खतरे को बढ़ाती जाती हैं। वहीं शोध के दौरान जिन लोगों ने अपनी लाइफस्टाइल को ठीक रखा उनमें 60 की आयु के बाद इस तरह के रोगों का जोखिम कम पाया गया। शोधकर्ताओं ने पाया उच्च रक्तचाप, मोटापा, अल्कोहल का सेवन, मस्तिष्क की चोट, बहरापन,धूम्रपान, अवसाद जैसी स्थितियां भी डिमेंशिया का कारण बन सकती हैं।

    आइए जानते हैं कि इन मनोरोगों से बचाव के लिए विशेषज्ञ किन उपायों का पालन करते रहने की सलाह देते हैं?
    आहार को बेहतर रखना जरूरी

    शोधकर्ताओं ने पाया कि आहार का स्वस्थ रहना डिमेंशिया जैसे रोगों से बचाव के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। आहार में सेचुरेटेड फैट और शुगर की मात्रा को कम रखकर आप मधुमेह और मोटापे जैसी स्थितियों के जोखिम को कम कर सकते हैं, जो डिमेंशिया के लिए भी जोखिम कारक हैं।

    इसके अलावा सभी लोगों को मौसमी सब्जियों, फलों, साबुत अनाज, ऑलिव ऑयल, मछली और बीन्स से भरपूर आहार का सेवन जरूर करना चाहिए।
    शराब और धूम्रपान दो बड़े जोखिम कारक

    ऑक्सफोर्ड के विशेषज्ञों ने शराब और डिमेंशिया के बीच जटिल संबंध पाया है। मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर जॉन गैलाचर कहते हैं शराब पीने वाले लोगों में डिमेंशिया के विकसित होने का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है।

    इसी तरह विशेषज्ञों ने धूम्रपान और डिमेंशिया के बीच भी लिंक पर जोर दिया है। धूम्रपान, मस्तिष्क की कोशिकाओं में क्षति का कारण बनती है जिसके कारण डिमेंशिया होने का खतरा रहता है। इन दोनों आदतों को बिल्कुल छोड़ देने की सलाह दी गई है।
    व्यायाम और लोगों से मिलते-जुलते रहना जरूरी

    अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि नियमित व्यायाम, अल्जाइमर रोगियों में सोचने और याददाश्त की क्षमता में गिरावट को कम करता है। इसके शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट व्यायाम करने की सलाह देते हैं।

    विशेषज्ञों का कहना है कि मस्तिष्क को सक्रिय रखने के लिए सामाजिक रूप से लोगों से मिलते-जुलते रहना जरूरी है। शोध में पाया गया है कि जो लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं उनमें भी डिमेंशिया रोग के विकसित होने का खतरा कम हो सकता है।

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