लगातार 11वें महीने घटी थोक महंगाई:अप्रैल में घटकर -0.92% पर आई, मार्च में ये 1.34% रही थी |
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थोक महंगाई दर (WPI) अप्रैल में घटकर -0.92% पर आ गई है। इससे पहले मार्च 2023 में थोक महंगाई दर 1.34% रही थी। फरवरी 2023 में थोक महंगाई दर 3.85% थी। ये लगातार 11वां महीना है जब होल-सेल महंगाई कम हुई है।
इससे पहले जून 2020 में WPI इससे कम है। तब ये -1.81% पर थी। खाने-पीने के सामान और ईंधन और बिजली के दामों में गिरावट आने से थोक महंगाई घटी थी। थोक महंगाई दर जून 2020 के बाद पहली बार 0% के नीचे गई है।
अप्रैल में खाद्य महंगाई दर घटी
अप्रैल में खाद्य महंगाई दर 2.32% से घटकर 0.17% रही है।
रोजाना जरूरत के सामानों की महंगाई दर 2.40% से घटकर 1.60% रही है।
ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर 8.96% से घटकर 0.93% रही है।
मेन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर -0.77% से बढ़कर -2.42% रही है।
WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहना चिंता का विषय रहता है। ये ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर बुरा असर डालती है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं।
सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है। जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है, क्योंकि उसे भी सैलरी देना होता है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
2021 से रिटेल महंगाई सबसे कम
अप्रैल में रिटेल महंगाई दर घटकर 4.70% पर आ गई है। मार्च में महंगाई दर 5.66% रही थी। ये लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर में कमी आई है। इतना ही नहीं रिटेल महंगाई का अक्टूबर 2021 से ये सबसे निचला स्तर भी है। तब देश की रिटेल महंगाई दर 4.5% पर पहुंच गई थी। खाने-पीने के सामान के दामों में गिरावट, बिजली और ईंधन की महंगाई घटने की वजह से रिटेल इंफ्लेशन में गिरावट देखने को मिली है।
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