रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता…धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से बढ़ रहे हैं भारत के कदम, लंबा सफ़र है बाकी |
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Defence Sector: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के नजरिए से ठोस नीतिगत फैसलों से तो मदद मिल ही रही है | साथ ही सरकार घरेलू खरीद को प्रोत्साहित कर आयात पर होने वाले खर्च को कम करने में भी जुटी है |
Self Reliance in Defence Sector: एक वक्त का था जब हम रक्षा क्षेत्र की हर छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए दूसरे देशों के मोहताज थे | लेकिन अब इस मोर्चे पर भारत की स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है , 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को लेकर आगे बढ़ रहा भारत रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की राह पर धीरे-धीरे, लेकिन मजबूती के साथ कदम आगे बढ़ा रहा है |
जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर मजबूत हो रही है, भारत रक्षा क्षेत्र के लिए जरूरी सामानों के आयात को कम कर रहा है और उसके लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत घरेलू बुनियादी ढांचे का निर्माण पर ज़ोर दे रहा है | आयात कम करने का ये मतलब नहीं है कि उन सामानों की जरूरत ही नहीं है, बल्कि उन सामानों को अब भारत अपने देश में ही बनाने पर फोकस कर रहा है |
रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्पना को पूरा करने के लिए सबसे जरूरी है देश में रक्षा क्षेत्र से जुड़े घरेलू उद्योग को मजबूत करना और इसके लिए केंद्र सरकार पिछले कुछ सालों से कई तरह के ठोस फैसले ले रही है | घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार उन उपकरणों, पुर्जों और सेवाओं की लगातार पहचान कर रही है, जिनसे जुड़ी जरूरतों को देश की कंपनियों से पूरा किया जा सकता है |
घरेलू खरीद को बढ़ावा, कई चीजों के आयात पर रोक |
इसके तहत रक्षा मंत्रालय समय-समय पर ऐसे कल-पुर्जों और कंपोनेंट्स की सूची जारी करती है, जिनको सिर्फ़ घरेलू कंपनियों से ही खरीदा जा सकेगा. इसे सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची यानी Positive Indigenisation List कहते हैं | इसी परंपरा को आगे ले जाते हुए रक्षा मंत्रालय ने 14 मई को चौथी ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण’ सूची (PIL) को मंजूरी दे दी | इस सूची में 928 पुर्ज़ों और सब-सिस्टम शामिल हैं | इसमें लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट्स, सब-सिस्टम्स और अलग-अलग सैन्य प्लेटफॉर्म, उपकरण और हथियारों में प्रयोग किए जाने वाले कल-पुर्जे, कंपोनेंट्स, हाई-ऐंड मटीरियल्स शामिल हैं |
रक्षा मंत्रालय की ओर समय-समय पर इस तरह की जो सूची जारी की जाती है, उन सूचियों में शामिल सामानों या सेवाओं के आयात पर रोक लग जाती है | इस तरह की चौथी सूची में 928 चीजें हैं और जिनका आयात प्रतिस्थापन मूल्य 715 करोड़ रुपये है | यानी इन चीजों पर आयात में इतनी बड़ी राशि सरकार को खर्च करनी पड़ती , रक्षा मंत्रालय ने इन वस्तुओं के आयात प्रतिबंध तो लेकर समय सीमा भी स्पष्ट कर दिया है | चौथी सूची में शामिल चीजों के लिए ये समय सीमा दिसंबर 2023 से लेकर दिसंबर 2028 तक यानी 5 वर्ष है |
रक्षा मंत्रालय जारी कर चुकी है 4 सूची
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने इस तरह की 3 सूची जारी की थी. पहली सूची दिसंबर 2021, दूसरी मार्च 2022 और तीसरी सूची अगस्त 2022 में जारी की गई थी | रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का सबसे प्रमुख कारक है कि घरेलू खरीद की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए और ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण’ सूची का मकसद इसी लक्ष्य को हासिल है | ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण’ सूची जैसी पहल से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को तो बढ़ावा मिलेगा ही और रक्षा से जुड़ी सरकारी कंपनियों के आयात को कम करने में भी मदद मिलेगी |
रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इन सूचियों में 2500 आइटम हैं जो पहले से ही स्वदेशी हैं | 1238 (351+107+780) आइटम वे हैं जो दी गई समय सीमा के भीतर स्वदेशी किए जाएंगे | अब तक देश में 1,238 में से 310 वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया जा चुका है | स्वदेशी किए वस्तुओं में पहली सूची के 262, दूसरी सूची के 11 और तीसरी सूची के 37 आइटम शामिल हैं |
घरेलू उद्योगों से खरीद की प्रक्रिया जल्द शुरू ,रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि कैसे रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनियां इन जरूरतों को देश में बनाकर पूरी करेंगी | इन आइटम में कुछ को सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग बनाएंगे | साथ ही निजी भारतीय उद्योग कुछ जरूरतों को पूरा करेंगे |रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम अधिसूचित वस्तुओं के लिए घरेलू उद्योगों से खरीद की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करेंगे |
इस पूरी प्रक्रिया से देश की अर्थव्यवस्था को तो मदद मिलेगी ही | साथ ही रक्षा क्षेत्र में निवेश भी बढ़ेगा | जो सबसे बड़ा लाभ होने वाला है, वो रक्षा के सार्वजनिक उपक्रमों के आयात में कमी है | रक्षा मंत्रालय का मानना है कि इस पूरी प्रक्रिया से घरेलू रक्षा उद्योग में अकादमिक और अनुसंधान संस्थान भी शामिल होंगे, जिससे देश में रक्षा उपकरणों की डिजाइन क्षमता भी बढ़ेगी |
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई नीतिगत पहल की हैं | इसके तहत रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार किए गए हैं | इससे देश में रक्षा विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है |
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने से जुड़ी पहल में शामिल कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP)-2020 के तहत घरेलू स्रोतों से बाय इंडियन (IDDM) श्रेणी की पूंजीगत वस्तुओं की खरीद को प्राथमिकता
सेवाओं की कुल 411 मदों की चार ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची'(PIL)
रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कुल 45 सौ से ज्यादा वस्तुओं की चार ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’, इसके तहत बताई गई समय सीमा से परे इन सामानों के आयात पर प्रतिबंध
लंबी वैधता अवधि के साथ औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया का सरलीकरण
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति के उदारीकरण के तहत ऑटोमेटिक रूट से 74% एफडीआई की अनुमति
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