येदियुरप्पा ही कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के रहेंगे पोस्टर बॉय, सार्वजनिक मंच से पीएम मोदी की तारीफों से मिलते हैं संकेत |
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कर्नाटक के 4 बार मुख्यमंत्री रहे और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा 80 साल के हो गए हैं | इसके बावजूद वे ही इस बार भी प्रदेश में बीजेपी के पोस्टर बॉय बने रहेंगे | कम से कम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जन्मदिन के मौके पर जिस तरह से तारीफों के पुल बांधे हैं, उससे यही संकेत मिल रहा है |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के शिवमोगा हवाई अड्डे का उद्घाटन करने के बाद एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे | इस दौरान उन्होंने बीएस येदियुरप्पा की जमकर तारीफ की. उससे पहले मोदी ने झुककर उनका अभिवादन भी किया| पीएम मोदी ने कहा कि येदियुरप्पा ने अपना पूरा जीवन गरीबों और किसानों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. मोदी ने पिछले हफ्ते कर्नाटक विधानसभा में येदियुरप्पा के दिए गए भाषण को सार्वजनिक जीवन में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक तक बता दिया.
मोबाइल की फ्लैश लाइट से सम्मान
येदियुरप्पा की तारीफ में पीएम मोदी यहीं तक नहीं रूके. उन्होंने जनसभा में मौजूद सभी लोगों से एक ऐसी अपील कर दी, जिससे शायद येदियुरप्पा भी हैरान रह गए होंगे. नरेंद्र मोदी ने येदियुरप्पा के सम्मान में लोगों से अपने-अपने मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने तक को कह दिया और लोगों ने ऐसा किया भी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये रूप कभी-कभी ही दिखता है, जब वे सार्वजनिक मंच से किसी मौजूदा नेता के बारे में इस तरह का बयान देते हैं और लोगों से भावुक अपील भी करते हैं. ये एक तरह से आगामी विधानसभा चुनाव में येदियुरप्पा के महत्व को भी दिखाता है.
येदियुरप्पा का कद है काफी बड़ा
कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को खत्म हो रहा है. ऐसे में अप्रैल-मई में यहां चुनावी दंगल हो सकता है. जिस तरह से जुलाई 2021 में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बना दिया गया था, उसके बाद से ही येदियुरप्पा की नाराजगी से जुड़ी खबरें लागातार आते रहती थीं. अब जब कर्नाटक में चुनाव बेहद नजदीक है, तो बीजेपी ऐसा कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है, जिससे येदियुरप्पा के समर्थकों के बीच पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी या उपेक्षा का मैसेज बरकरार रहे. ये हम सब जानते हैं कि जुलाई 2021 में सीएम पद से हटाए जाने को लेकर अंदरखाने बीएस येदियुरप्पा नाराज थे ही, उनके समर्थकों में भी भारी नाराजगी थी. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं और इस समुदाय में उनकी पकड़ की वजह से ही बीजेपी कर्नाटक में 2008 में पहली बार सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाए जाने के मसले पर लिंगायत समुदाय रोष में था.
लिंगायत समुदाय को संदेश देने की कोशिश
हालांकि मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं. लिंगायत से होते हुए भी इस समुदाय में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की पकड़ उतनी मजबूत नहीं है. पिछले डेढ़ साल में बसवराज बोम्मई की छवि कमजोर ही हुई है. विपक्ष हमेशा ही बोम्मई सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है. इस लिहाज से भी लिंगायत समुदाय पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए बीजेपी को बीएस येदियुरप्पा का खुलकर साथ चाहिए. कर्नाटक में 18 फीसदी आबादी की वजह से लिंगायत समुदाय हर पार्टी के लिए बड़ा वोट बैंक है. परंपरागत तौर से लिंगायत समुदाय में बीजेपी का जनाधार काफी अच्छा माना जाता है. बीजेपी अगर चाहती है कि कर्नाटक उसके लिए गुजरात जैसा ही मजबूत सियासी किला बने, तो उसके लिए लिंगायत समुदाय के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत करनी होगी. इसमें फिलहाल 80 साल के होने के बावजूद येदियुरप्पा ही पार्टी के खेवनहार बन सकते हैं.
शीर्ष नेतृत्व कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता
येदियुरप्पा चुनावी राजनीति से दूर रहने का एलान कर चुके हैं और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को इसी बात का सबसे ज्यादा डर सता रहा है. उसकी चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि अगर येदियुरप्पा के समर्थकों को 2021 की बात अभी भी कचोट रही होगी, तो उससे पार्टी को विधानसभा चुनाव में नुकसान न उठाना पड़ जाए. प्रधानमंत्री मोदी ने शिवमोगा में जिस तरह से येदियुरप्पा की तारीफ के साथ ही उनका अभिभावदन किया, वो कर्नाटक की जनता और येदियुरप्पा के समर्थकों को सीधा संदेश था कि भले ही बसवराज बोम्मई सूबे के मुख्यमंत्री हों, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा येदियुरप्पा ही रहेंगे. संभावना है कि मार्च में चुनाव आयोग मतदान की तारीखों का ऐलान कर दे. बीजेपी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस और जेडीएस के नेता मजबूती के साथ चुनावी रणनीतियों को अंजाम देने में जुटे हैं. बीजेपी के लिए किसी भी राज्य में पीएम मोदी से बड़ा फिलहाल कोई चेहरा नहीं है और जब खुद मोदी, येदियुरप्पा को सार्वजनिक मंच पर इतना महत्व दे रहे हों, तो अपने आप में ये वहां की जनता के लिए बहुत बड़ा राजनीति संदेश बन जाता है |
विरोधियों को गुटबाजी का नहीं मिल पाएगा लाभ
कांग्रेस-जेडीएस कहीं न कहीं इस बात से खुश जरूर हो रहे थे, कि चुनावी राजनीति से येदियुरप्पा की दूरी वाले बयान से उन्हें फायदा मिल सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने शिवमोगा में जिस तरह के हाव-भाव दिखाए, उससे कांग्रेस-जेडीएस के मंसूबों पर भी पानी फिर सकता है| बीजेपी को अगर दक्षिण भारत के बाकी राज्यों में मजबूत होना है, तो उसके लिए कर्नाटक के राजनीतिक किले को बरकरार रखना बेहद जरूरी है | इस मकसद को पार्टी तभी हासिल कर सकती है, जब उसे अंदरूनी कलह से कोई नुकसान नहीं उठाना पड़े |
अगस्त में पार्टी संसदीय बोर्ड में मिली थी जगह
बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से पिछले 6-7 महीने से येदियुरप्पा को लेकर जिस तरह का रवैया रहा है, वो अपने आप में बुहत कुछ कहता है. जनवरी में दिल्ली में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी |
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