बनारस से पूरा होगा सपना: PM Modi के अर्थगंगा की जमीन मजबूत करेगा ब्रांड गंगा, एनएमसीजी को भेजा गया प्रस्ताव |
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अर्थगंगा की सोच को जमीन पर उतारने और उसे पूरा करने के लिए गंगा बेसिन क्षेत्र में गंगा मित्रों की मदद ली जाएगी। गंगा के पानी से उत्पन्न होने वाले सभी उत्पादों को गंगा ब्रांड कहा जाएगा। इसकी ब्रांडिंग भी कराई जाएगी।
अर्थगंगा की जमीन को मजबूती देने के लिए ब्रांड गंगा का खाका तैयार किया गया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र ने इसका प्रस्ताव तैयार कर नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) को भेज दिया है। इस प्रोजेक्ट को गंगा बेसिन के 2525 किलोमीटर के इलाके में लागू किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अर्थगंगा के सपने को काशी से ही साकार किया जाएगा।
बीएचयू के शोध केंद्र ने जो खाका तैयार किया है, उसके मुताबिक, गंगा किनारे बसे गांवों के किसानों की आय बढ़ाई जाएगी। इसका नया फार्मूला तैयार दिया गया है। गंगा के पानी से सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित करनी है। आर्गेनिक फार्मिंग को भी बढ़ावा देने की योजना है। गंगा के पानी से तैयार फसलों को ही ब्रांड गंगा का नाम दिया जाएगा, फिर गंगा गेहूं, लौकी, बैगन, चावल का नाम देकर बाजार में उतारा जाएगा। इसकी ब्रांडिंग की जाएगी। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। एक्वाकल्चर और फ्लोरीकल्चर के जरिये किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। इसके लिए सारे संसाधन सरकार की तरफ से उपलब्ध कराए जाएंगे और मेहनत किसान को करनी होगी।
अर्थगंगा की सोच को जमीन पर उतारने और उसे पूरा करने के लिए गंगा बेसिन क्षेत्र में गंगा मित्रों की मदद ली जाएगी। गंगा के पानी से उत्पन्न होने वाले सभी उत्पादों को गंगा ब्रांड कहा जाएगा। इसकी ब्रांडिंग भी कराई जाएगी। – प्रो. बीडी त्रिपाठी, चेयरमैन, महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र
गंगा के पानी का नहीं होगा दोहन
पानी दोहन के बिना ही कई परियोजनाएं गंगा किनारे चलाई जाएंगी। इसमें नौकायन, एक्वाकल्चर और फ्लोरीकल्चर को भी शामिल किया गया है। एक्वाकल्चर के लिए गंगा के एक से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में जाल लगाकर मछली पालन किया जाएगा। सिंघाड़े और मखाने की खेती भी होगी। इससे पानी का दोहन नहीं होगा। फसल भी अच्छी होगी।
गंगा बेसिन में बनेंगे केंद्र
एनएमसीजी को जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसके अनुसार, 2525 किलोमीटर के गंगा बेसिन में जगह-जगह केंद्र बनाए जाएंगे। इन केंद्रों से नौकायन, एक्वाकल्चर और फ्लोरीकल्चर की गतिविधियों को संचालित किया जाएगा। किसान छोटा निवेश करके बेहतर आय कर सकेंगे। ना तो कोई गंगा को प्रदूषित करेगा और ना ही इससे कोई नुकसान पहुंचेगा। सरकार की तरफ से गंगा के कुछ इलाकों की नीलामी भी की जाएगी और वहां पर जाल लगाकर मछली पालन की सुविधा दी जाएगी।
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