बजट: वित्तमंत्री से ”अर्थव्यवस्था” को गतिशील करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और निवेश के लिए प्रोत्साहन की उम्मीदें |
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उम्मीद है कि वित्तमंत्री अर्थव्यवस्था को गतिशील करने तथा रोजगार के अवसर बढ़ाने वाला बजट पेश करेंगी।
वैश्विक सुस्ती की चुनौतियों तथा आगामी लोकसभा चुनाव से पहले का आखिरी पूर्ण बजट होने के कारण वित्तमंत्री से ऐसे बजट की उम्मीद है, जिससे राजकोषीय तस्वीर न बिगड़े और कल्याणकारी योजनाओं के बढ़ने का परिदृश्य भी दिखाई दे। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार सरकारी खजाने की स्थिति संतोषप्रद है। पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने और विनिवेश लक्ष्य के उम्मीद से कम होने के बावजूद राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर स्थिति काबू में है, कच्चे तेल के दाम ऊंचे स्तरों से नीचे आने से करों में और कमी की आशंका है, ऋण आवंटन की दर मजबूत है, अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर है तथा कर संग्रह में वृद्धि भी देखी गई है।
बजट से रोजगार वृद्धि, कृषि व किसान हितों, बुनियादी ढांचे की मजबूती, उद्योग-कारोबार की गतिशीलता, रोजगार के नए अवसर, महंगाई पर नियंत्रण, नई मांग का निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं और डिजिटल शिक्षा पर खर्च बढ़ाने के अलावा छोटे करदाताओं, मध्यवर्ग, महिला, युवा वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों की उम्मीदें पूरी करने के साथ बेहतर विकास दर की भी उम्मीदें हैं। बजट में ऐसे प्रावधानों की संभावनाएं हैं, जिनसे निर्यात और विदेशी निवेश में वृद्धि, उपभोक्ता मांग में तेजी, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में बड़ा सुधार, शेयर बाजार में तेजी, बेहतर राजकोषीय नतीजे तथा जीएसटी संग्रह में उछाल आएगा।
वित्तमंत्री बजट में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बड़े एलान कर सकती हैं, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रोडक्शन लिंक्ड स्किम (पीएलआई) योजना को गतिशील करने के लिए आवंटन बढ़ाए जा सकते हैं और ज्यादा निर्यात करने वाले जिलों को सड़क, रेल और हवाई मार्ग से जोड़ने के प्रावधान हो सकते हैं। वित्तमंत्री बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों, गांवों में अधिक रोजगारमूलक खर्च, खपत और नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने के मद्देनजर अब तक के रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय की रणनीति पर आगे बढ़ सकती हैं।
कृषि विकास दर व छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन, खाद्य व उर्वरक सब्सिडी की उपलब्धता, बीजों की गुणवत्ता, कृषि तकनीक, कृषि में निजी निवेश, प्राकृतिक खेती, मांग आधारित खेती, खाद्य प्रसंस्कृत क्षेत्र के तेज विकास, एग्री फ्रूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मनरेगा पर अधिक आवंटन व ग्रामीण उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन के एलान हो सकते हैं।
वित्तमंत्री श्रम, भूमि, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में घोषित किए गए सुधारों के लिए कार्यान्वयन की डगर पर आगे बढ़ सकती हैं। एमएसएमई को पटरी पर लाकर रोजगार बढ़ाने, खुदरा कारोबार की सरलता, स्टार्टअप को प्रोत्साहन, डिजिटलीकरण के बुनियादी ढांचे और प्राथमिक सहकारी समितियों की मजबूती के लिए अधिक प्रोत्साहन नए बजट में अपेक्षित हैं। सरकार आवास योजनाओं को आगे बढ़ाने के प्रभावी प्रावधान कर सकती है। आतिथ्य, पर्यटन और अन्य संपर्क वाली सेवाओं को समर्थन देने के साथ रक्षा बजट में बड़ा इजाफा किया जा सकता है। इस बार मध्यवर्ग को टैक्स छूटों में वृद्धि की अपेक्षा है। आयकर के नए प्रारूप वाले टैक्स स्लैब का पुनः निर्धारण और जो आयकर के पुराने स्लैब को अपनाए हुए हैं, उनके लिए विभिन्न टैक्स छूटों में वृद्धि जरूरी दिखाई दे रही है।
वित्तमंत्री के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती विभिन्न वर्गों की अपेक्षाएं पूरी करने, विकास दर बढ़ाने के लिए अधिक खर्च करने और राजकोषीय घाटा कम करने की जरूरत के बीच सामंजस्य बनाने की होगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2026 तक राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.5 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए आगामी बजट में राजकोषीय घाटा करीब छह प्रतिशत रखना होगा। इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
उम्मीद है कि वित्तमंत्री अर्थव्यवस्था को गतिशील करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, निवेश के लिए प्रोत्साहन देने तथा विभिन्न वर्गों को राहत देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहनों से भरपूर बजट पेश करेंगी।
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