बच्चे की “असफलता” पर नहीं कोशिश पर ध्यान दें: जिंदगी में ”फेलियर” जरूरी सक्सेस के प्रेशर से वे डिप्रेशन में जा सकते हैं |
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आजकल के पेरेंट्स बच्चों को बिना जरूरत के ही सभी सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं। वे बच्चों पर हमेशा अच्छी रैंक से पास होने के लिए दबाव भी बनाते हैं। इस तरह की हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग से बच्चे चिंता और अवसाद का शिकार हो रहे हैं | लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया कि असफलता बच्चों के लिए अच्छी होती है।
*बच्चों को असफलता पर जज न करें:-
चाइल्ड माइंडसेट के क्लीनिकल साइकॉलिजिस्ट डेविड एंडरसन का कहना है | कि बच्चों के लिए असफलता बहुत कॉमन है। बच्चों की क्षमताएं परखे बगैर उन्हें जज करने की आदत से वे मानसिक रोगी बन रहे हैं। नतीजा यह है कि वे फेल होने से डरने और डटकर मुकाबला करने की बजाय इससे बचते नजर आ रहे हैं। लिहाजा बच्चों की कठिनाई दूर करने के लिए उनपर ध्यान देना चाहिए।
*फेलियर नहीं, कोशिश पर ध्यान दें:-
जब बच्चा एक कागज पर फेल के साथ घर आता है| तो उसके साथ कुछ समय बिताएं, ताकि आप अपनी प्रतिक्रिया देने से बच सकें। तत्काल सजा या उनकी विफलता आपको कैसा महसूस कराती है, इसकी अभिव्यक्ति की बजाय, उनके विचारों को जानें। असफलता क्या सिखा सकती है, इसके बजाय बच्चे ने कैसा प्रदर्शन किया, इस पर ध्यान केंद्रित करने से निश्चित मानसिकता पैदा होती है।
बच्चों के मामले में दोषारोपण के खेल से बचें। संघर्ष को दूर करने के लिए बिना जाने मदद के लिए कदम न बढ़ाएं। यदि आप देखते हैं | कि बच्चे को किसी प्रोजेक्ट में कठिनाई हो रही है, या वह असमर्थता व्यक्त कर रहा है, तो बस दूर से देखें। तब तक मदद न करें, जब तक वे स्पष्ट रूप से मदद न मांगे।
*बच्चों को संघर्ष से बचाने की जगह उनके साथ खड़े रहें :-
एंडरसन कहते हैं- छोटे बच्चों के लिए यह महत्वपूर्ण होता है | कि आप उसे संघर्ष करते देख रहे हैं। समस्याओं के समाधान के लिए बिना सोचे-समझे उसकी मदद न करें। कुछ पल इंतजार करें। ऐसा करना वास्तव में मददगार होगा।
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