परमाणु संलयन सफलता : वैज्ञानिकों के मुताबिक फ्यूजन प्रक्रिया के जरिए ही सूरज जैसे ग्रहों पर ऊर्जा पैदा होती है। लेकिन फ्यूजन प्रक्रिया सिर्फ कुछ खास परिस्थितियों में ही संभव है। इसके लिए जरूरी है कि अणुओं (एटम) पर अत्यधिक ताप पड़े
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Nuclear Fusion Breakthrough: वैज्ञानिकों के मुताबिक फ्यूजन प्रक्रिया के जरिए ही सूरज जैसे ग्रहों पर ऊर्जा पैदा होती है। लेकिन फ्यूजन प्रक्रिया सिर्फ कुछ खास परिस्थितियों में ही संभव है। इसके लिए जरूरी है कि अणुओं (एटम) पर अत्यधिक ताप पड़े ।
अमेरिका में फ्यूजन तकनीक (Nuclear Fusion Breakthrough) से परमाणु ऊर्जा बनाने में मिली सफलता से ऊर्जा का पूरा परिदृश्य बदल जाने की संभावना जताई जा रही है। इसी हफ्ते अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस तकनीक में कामयाबी हासिल कर लेने की घोषणा की। कैलिफोर्निया स्थित लॉरेंस लाइवमोर नेशनल लेबोरेटरी (एलएलएनएल) में दशकों तक चले प्रयासों के बाद यह सफलता मिली है। इसका नतीजा यह होगा कि परमाणु ऊर्जा बनाने में लगने वाला वक्त काफी घट जाएगा और साथ ही कहीं अधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा होगी।
अमेरिका में ये सफलता इनर्शियल कॉन्फाइनमेंट फ्यूजन प्रक्रिया के जरिए हासिल की गई है। इसके तहत सूक्ष्म स्वर्ण सिलिंडरों की बमबारी की जाती है। इस सिलिंडर में हाइड्रोजन ईंधन के पैलेट मौजूद रहते हैं, जिनका आकार पेंसिल इरेजर जितना होता है। इस प्रक्रिया के जरिए गर्म प्लाज्मा और एक्स-रे पैदा होते हैं, जो आंतरिक विस्फोट को प्रेरित करते हैं। इससे ईंधन पैलेट में संपीड़न होता है, जिसके परिणास्वरूप होने वाले फ्यूजन रिएक्शन से ऊर्जा पैदा होने लगती है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक फ्यूजन प्रक्रिया के जरिए ही सूरज जैसे ग्रहों पर ऊर्जा पैदा होती है। लेकिन फ्यूजन प्रक्रिया सिर्फ कुछ खास परिस्थितियों में ही संभव है। इसके लिए जरूरी है कि अणुओं (एटम) पर अत्यधिक ताप पड़े। साथ ही उन पर अत्यधिक दबाव भी पड़े। इनसे ही फ्यूजन (विलय) की स्थिति बनती है। फ्यूजन तकनीक फिशन (विखंडन) के विपरीत है। अभी दुनिया में मौजूद परमाणु रिएक्टरों में विखंडन प्रक्रिया के जरिए ही परमाणु बिजली बनाई जाती है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि फ्यूजन तकनीक प्रचलन में आने से बड़ी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन संभव हो जाएगा।
फ्यूजन तकनीक से बिजली बनाने की कोशिश दुनिया के कई देशों में हुई है। पिछले साल चीन ने इस मामले में बड़ी सफलता पाने का दावा किया था। कुछ मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चीन में मिली सफलता अमेरिका में अभी मिली कामयाबी से बड़ी थी। लेकिन वैज्ञानिकों ने ध्यान दिलाया है कि एलएलएनएल में लेजर के जरिए यह सफलता मिली है। जबकि दुनिया के ज्यादातर दूसरे हिस्सों में मैग्नेटिक फील्ड के जरिए फ्यूजन कराने की कोशिश की गई है।
मैग्नेटिक फील्ड विधि में ईंधन को उस सीमा तक गरम किया जाता है, जब इलेक्ट्रॉन अणुओं से अलग होने लगते हैं। इससे इलेक्ट्रॉन्स के प्लाज्मा और आवेशित न्यूक्लाई (nuclei) का निर्माण होता है। यही न्यूक्लाई बाद में आपस में विलय (फ्यूजन) करते हैं। उस प्रक्रिया में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। मैग्नेटिक कॉन्फाइनमेंट उपकरणों में प्लाज्मा तापमान कई बार 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक पहुंचा है। लेकिन उससे उत्पन्न बिजली उपकरणों तक नहीं पहुंच सकी है।
अमेरिका में मिली सफलता से फ्यूजन विधि से व्यापारिक मकसद से बिजली उत्पन्न होने की बड़ी उम्मीदें जगी हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इसके लिए कुछ वर्ष और इंतजार करना होगा। फिलहाल इस सफलता का परिणाम यह होगा कि इस क्षेत्र में अधिक प्रयोग करने और योजनाएं बनाने के लिए अनुकूल स्थितियां बनेंगी। इससे सरकारें अधिक बजट मंजूर करने के लिए तैयार होंगी, जिससे अनुसंधान और विकास का काम तेज गति से आगे बढ़ेगा। एलएलएनएल में मिली सफलता का तुरंत परिणाम देखने को मिला है। अमेरिका सरकार इनर्शियल फ्यूजन प्रोग्राम के लिए 60 करोड़ डॉलर के नए बजट को मंजूरी दे दी है।
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