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    May 5, 2025

    इंडो-पैसिफिक रीजन में यूरोपीय संघ की बड़ी भूमिका चाहता है भारत, चीन के आक्रामक रुख के लिहाज से है जरूरी |

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    😊

    इंडो-पैसिफिक रीजन में यूरोपीय संघ की बड़ी भूमिका चाहता है भारत, चीन के आक्रामक रुख के लिहाज से है जरूरी |

    India EU Relations: 2004 के बाद से भारत और यूरोपीय संघ के बीच रणनीतिक साझेदारी है इंडो पैसिफिक रीजन में शांति और स्थिरता के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी इस साझेदारी का काफी महत्व है |
    EU Indo Pacific Ministerial Forum: यूरोपीय संघ के अस्तित्व के साथ ही भारत का उसके साथ प्रगाढ़ संबंध रहा है | दोनों के बीच संबंधों के लिहाज से ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम (EIPMF) की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है | भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम को संबोधित करते हुए इस बात पर बल दिया |
    बतौर विदेश मंत्री एस जयशंकर दूसरे ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम में हिस्सा लेने के लिए स्वीडन की अपनी पहली यात्रा पर 13 अप्रैल को स्टॉकहोम पहुंचे थे | इस बैठक को संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि इंडो पैसिफिक वैश्विक राजनीति की दिशा में तेजी से केंद्रीय भूमिका में पहुंच रहा है | यह जिन मुद्दों को उठाता है उनमें वैश्वीकरण के स्थापित मॉडल में निहित समस्याएं हैं |

    ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस दौरान भारत और यूरोपीय संघ के बीच के जुड़ाव पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ बहुध्रुवीय दुनिया को पसंद करता है और ये बहुध्रुवीय एशिया के जरिए ही मुमकिन है | उन्होंने आगे कहा कि यूरोपीय संघ इंडो-पैसिफिक के साथ जुड़ाव बढ़ाने के लिए समान विचारधारा वाले साझेदारों की तलाश करेगा , एस जयशंकर का कहना है कि भारत निश्चित तौर से उनमें से एक भागीदार है |

    भारत का नियमित बातचीत पर ज़ोर, भारत का हमेशा से मानना रहा है कि इंडो-पैसिफिक एक जटिल और अलग परिदृश्य है | इस बात को रेखांकित करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि इसे मजबूत जुड़ाव के जरिए ही बेहतर तरीके से समझा जा सकता है | भारत चाहता है कि सिर्फ संकट के वक्त ही इंडो पैसिफिक देशों और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच जुड़ाव न रहे | एस जयशंकर का कहना है कि संबंधों में और मजबूती के लिए इंडो-पैसिफिक और भारत के साथ यूरोपीय संघ का नियमित तौर से बातचीत होनी चाहिए | बातचीत व्यापक और सार्थक हो ये भी जरूरी है |

    इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय संघ और इंडो-पैसिफिक के राष्ट्रों के बीच क्षमताओं, गतिविधियों और प्रयासों को दर्शाते हुए 6 बिंदु रखे |

    इंडो-पैसिफिक विकास में यूरोपीय संघ का हित जुड़ा हुआ है | ख़ास तौर से ये हित प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, व्यापार और वित्त से संबंधित हैं. इसके लिए इंडो-पैसिफिक रीजन में अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून UNCLOS का पालन सही तरीके से हो रहा है, इस पर यूरोपीय संघ को भी नज़र रखनी होगी. इस मसले पर अब मुंह फेर लेने का कोई विकल्प नहीं है |
    पिछले दो दशकों के परिणामों से स्थापित सोच की परीक्षा हो रही है. गैर-बाजार अर्थशास्त्र (non-market economics) का जवाब कैसे दिया जाए, यह अपेक्षा से अधिक एक विकट चुनौती साबित हो रही है |
    हाल की घटनाओं ने आर्थिक केंद्रीकरण की समस्याओं के साथ-साथ विविधीकरण की आवश्यकता को भी उजागर किया है |वैश्विक अर्थव्यवस्था को जोखिम मुक्त करने के लिए विश्वसनीय और लचीली सप्लाई चेन तो चाहिए , इसके साथ ही डिजिटल डोमेन में विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की जरूरत है |
    जितना अधिक यूरोपीय संघ और इंडो-पैसिफिक देश एक-दूसरे के साथ व्यवहार करेंगे, दुनिया में बहुध्रुवीयता (multi-polarity) को उतनी ही मजबूत मिलेगी | एक बहुध्रुवीय विश्व केवल बहुध्रुवीय एशिया के साथ ही संभव है |
    भारत में डिजिटल सार्वजनिक वितरण या हरित विकास की पहल जैसे कई बदलाव हो रहे हैं | इन बदलावों से यूरोपीय संघ का भारत के ध्यान आकर्षित होता है | वैश्विक मंच पर भारत के तेजी से बढ़ते कद की वजह से आने वाले वर्षों में यूरोपीय संघ के साथ जुड़ाव और बढ़ जाएगा |
    इंडो-पैसिफिक के किसी भी तरह के मूल्यांकन में स्वाभाविक तौर से Quad वैश्विक भलाई के नजरिए से एक बड़ा कारक होगा , इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) एक ऐसी पहल है जिसके साथ यूरोपीय संघ सहज होगा और इसमें भागीदारी करने पर विचार कर सकता है |

    इंडो-पैसिफिक के मुद्दों से मुंह नहीं फेर सकता ईयू , इन बिंदुओं को रखते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ को नियमित, व्यापक और सार्थक बातचीत करते रहनी चाहिए ,  इंडो-पैसिफिक को लेकर इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है | एस जयशंकर ने ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम पर जो भी बातें कही, उससे साफ है कि अब भारत इंडो-पैसिफिक रीजन में यूरोपीय संघ की भूमिका को बढ़ाना चाहता है | ख़ास कर इस रीजन में चीन के बढ़ते आक्रामक रुख और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के उल्लंघन को लेकर भारत चाहता है कि यूरोपीय संघ इस मुद्दे पर ध्यान दे |

    एक तरह से भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि धीरे-धीरे हालात ऐसे होते जा रहे हैं कि अब इस मसले का पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को वैश्विक हितों को देखते हुए इस मुद्दे पर तटस्थ रुख रखने का वक्त खत्म हो गया है | जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण चीन और पूर्वी चीन सागर में चीन की सेना की आक्रामक कार्रवाई को देखते हुए ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम की बैठक और इसमें भारत के पक्ष की अहमियत काफी बढ़ जाती है |

    एस जयशंकर बांग्लादेश से सीधे तीन तीन दिवसीय यात्रा पर स्वीडन पहुंचे थे | बांग्लादेश में उन्होंने 12 अप्रैल को छठे हिंद महासागर सम्मेलन में भारत का पक्ष रखा था | स्टॉकहोम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम से अलग फ्रांस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया साइप्रस, लातविया, लिथुआनिया और रोमानिया के अपने समकक्षों के साथ भी बैठक की इसमें उन्होंने इंडो पैसिफिक से जुड़े मुद्दों के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध समेत तमाम क्षेत्र |

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