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    April 22, 2025

    आत्मनिर्भरता के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से बढ़ता भारत, मेडिकल क्षेत्र में वैश्विक केन्द्र का लक्ष्य |

    1 min read

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    जीडीपी के मौजूदा 1.2% से 2025 तक 2.5% खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है | सरकार का जोर अब सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राष्ट्रीय बफर और वैश्विक पंप हाउस के साथ-साथ देश में स्वास्थ्य सेवाओं का एक बेहतर नेटवर्क बनाने पर है |
    भारत को स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है | जब कोरोना महामारी अपने चरम पर था तब लोगों की जान बचाने के लिए जरूरी दवाएं थीं | वैक्सीन और मेडिकल उपकरण कुछ देशों के लिए हथियार बन गए थे | भारत ने इस सब चीजों पर पिछले कुछ वर्षों में अपना ध्यान केंद्रित किया है | हम लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने और स्वास्थ्य क्षेत्र में अपनी जरूरतों पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को कम करने को लेकर काम कर रहे हैं | ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार यानी 6 मार्च को ‘स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान’ पर आयोजित पोस्ट बजट वेबिनार के नौवें श्रृंखला में अपने संबोधित के दौरान कही |
    दरअसल, कोरोना वायरस के प्रकोप ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में दुनिया को सोचने के लिए मजबूर कर दिया गया | भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित व व्यवस्थित करने की राह में कई चुनौतियां हैं | हम सब इस बात को व्यापक तौर पर स्वीकार करते हैं कि स्वस्थ मानव बल किसी देश के बेहतर उत्पादकता के लिए कितना जरूरी होता है | लेकिन जब स्वास्थ्य सुविधाएं बेहत नहीं होती हैं तो प्री-मेच्योर डेथ, लंबे समय तक विकलांगता और जल्दी सेवानिवृत्ति से देश को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है | स्वास्थ्य और पोषण सीधे तौर पर विद्वतापूर्ण उपलब्धियों को भी प्रभावित करते हैं और देश की उत्पादकता और आय पर असर डालते हैं | राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) 2017 का उद्देश्य सरकारी स्वास्थ्य सेवा को दोगुना करना है |

    जीडीपी के मौजूदा 1.2% से 2025 तक 2.5% खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है | सरकार का जोर अब सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राष्ट्रीय बफर और वैश्विक पंप हाउस के साथ-साथ देश में स्वास्थ्य सेवाओं का एक बेहतर नेटवर्क बनाने पर है | भारत ने मिलेनियम डेवलपमेंट गोल के लक्ष्यों को लगभग प्राप्त कर लिया है और अब हम सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के तहत वर्ष 2030 तक यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में बढ़ रहे हैं | यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज-3 के तहत वित्तीय रिस्क को कम करना, गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं तक सभी की पहुंच, सभी लोगों तक सुरक्षित, प्रभावी और अफोर्डेबल तरीके से जरूरी दवाएं और टीका उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |
    हमने दुनिया के सामने ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की परिकल्पना रखी

    प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमें स्वास्थ्य सुविधाओं को कोविड से पूर्व और कोविड महामारी के बाद के परिदृश्य में देखना चाहिए | उन्होंने कहा कि महामारी ने दुनिया के समृद्ध देशों तक की परीक्षा ली | इस कारण पूरी दुनिया ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर गया है | इसी क्रम में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए आरोग्य पर अपना ध्यान लगाया. इसलिए हमने दुनिया के सामने–’एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की परिकल्पना रखी है | इसमें सभी प्राणियों–मानव, पशु या पौधे सबके लिये समग्र स्वास्थ्य सम्मिलित है | भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए भोजन, दवाओं के विनियमन; जीवन रक्षक दवाएं, टीके और टीबी मुक्त भारत के लिए किये जा रहे प्रयासों; स्वास्थ्य देखभाल पुनर्वास; चिकित्सा में अंतराल, दंत चिकित्सा, नर्सिंग और फार्मेसी आदि से संबंधित संस्थाओं को सशक्त बनाने में सरकार द्वारा हस्तक्षेप किया जाना आवश्यक है |

    स्वास्थ्य सेवाओं की असमानता को करने और स्वास्थ्य देखभाल की मांग की 90 प्रतिशत जरूरतों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से दूर किया जा सकता है | प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से मिले सबक को दोहराया |\
    उन्होंने कहा कि उसी समय दवा, टीके और मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति पर बैन लगा दिया गया था. इसके बाद से सरकार लगातार यह कोशिश कर रही है की दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम हो. उन्होंने इस मामले में सभी हितधारकों की भूमिका पर जोर दिया.

    देश भर में 9000 जन औषधि केंद्रों के जरिये लोगों को मिल रही हैं सस्ती दवाएं

    प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के बाद देश में दशकों तक स्वास्थ्य के लिये एकीकृत दीर्घकालिक परिकल्पना के अभाव का हवाला देते हुए कहा कि अब स्वास्थ्य का मुद्दा स्वास्थ्य मंत्रालय तक सीमित नहीं है | अब हम सम्पूर्ण-सरकार की सोच को आगे बढ़ा रहे हैं | आयुष्मान भारत के जरिये मुफ्त इलाज उपलब्ध कराके गरीब मरीजों की लगभग 80 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है | चिकित्सा उपचार को सस्ता बनाना हमारी प्राथमिकता है | सात मार्च को जन औषधि दिवस के रूप में मनाये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि 9000 जन औषधि केंद्रों के जरिये लोगों को सस्ती दवाएं मिल रही हैं | इससे निर्धन और मध्य वर्गों के लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है |

    इसका अर्थ यह हुआ कि केवल इन दो योजनाओं से ही नागरिकों का एक लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है | गंभीर रोगों के इलाज के लिए मजबूत स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रकर के महत्व को रेखांकित किया | कहा कि देशभर में 1.5 लाख से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को विकसित किए जा रहे हैं | ताकि जांच केंद्र और प्राथमिक उपचार उपलब्ध हो सके | मधुमेह, कैंसर और हृदय संबंधी रोगों जैसे गंभीर मामलों की स्क्रीनिंग की सुविधा भी इन केंद्रों में उपलब्ध होगी |

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