नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 18, 2025

    असली मर्द रोते हैं: क्या मर्दों को रोना नहीं चाहिए? आँसू कभी मत रोको!

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    असली मर्द रोते हैं: लड़के के पालन-पोषण से जुड़े मर्दानगी शब्द के कारण, पुरुष हीन भावना के नशे में चूर हो रहे हैं कि वे जीवन में दर्द का दावा नहीं कर सकते हैं और अपने साथियों जितना नहीं कमा सकते हैं।

    रोना शर्म की बात नहीं है। रोना सिर्फ दर्द बयां करने का जरिया है। रोना किसी एक लिंग का नहीं होता। रोना है तो औरतें रोएंगी या मर्द रोएंगे। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, हंसने वाली महिलाओं और रोने वाले पुरुषों पर भरोसा न करें।

    देखो, पड़ोस के लड़के को अभी-अभी नौकरी मिली है। क्या आप उसका वेतन जानते हैं? क्या आप वार्डन हैं? क्या आप पढ़ाते हैं? आराम से रहने के लिए आप पुलिसकर्मी या इंजीनियर क्यों नहीं बने? कौन है वो जो अपनी पत्नी को अपने वश में नहीं रख सकता? लड़कों के दिमाग में बचपन से ही यह बात डाली जाती है कि उन्हें डरना नहीं चाहिए। आखिर एक लड़का और एक लड़की होने का अहसास क भरे? समाlज जाने-अनजाने पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को रोने से लेकर हर चीज में बर्बाद कर रहा है
    लड़के और लड़कियों में इतना अंतर क्यों है कि केवल लड़कियां ही रो सकती हैं?

    जैसे पुरुषार्थ शब्द लड़के के लालन-पालन से जुड़ा है, पुरुष हीन भावना के कारण मदहोश हो रहे हैं कि वे जीवन में दु:ख का दावा नहीं कर सकते, अपने हमउम्रों जितना कमा नहीं पा रहे हैं।
    और कई पुरुष अपनी समस्याओं के बारे में बात न कर पाने के कारण शर्मिंदगी से आत्महत्या कर लेते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि आत्महत्या के विचार तब आते हैं जब अपना दर्द बांटने वाला कोई नहीं होता, जब कोई अपना दर्द बांटने में असमर्थ होता है। इसलिए किसी के दुखी होने पर रोने से अच्छा है।
    रोना आत्म-सुखदायक है। लेकिन पुरुषों को वह सुविधा नहीं मिल रही है।
    अनपेक्षित घटनाओं, प्रेम में असफलता या करियर में असफलता से मन के कुचल जाने पर असहनीय पीड़ा का अनुभव होना सामान्य बात है। तो रोने में क्या हर्ज है? लैंगिक भेदभाव केवल महिलाओं की समस्या नहीं है। यह हमारे समाज की भलाई से संबंधित है और सभी से

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    11:14 PM